घरेलू हिंसा से बचने के लिए महिला ने चुड़ैल बनने का नाटक किया, जानिए कैसे बची उसकी जिंदगी
महिला का विवाह पांच साल पहले गोपालगंज जिले में हुआ था। विवाह के बाद से ही उसका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। उसके पति, जो कि रेलवे में लोको पायलट हैं, ने उसे बार-बार मारपीट का शिकार बनाया।
घरेलू हिंसा से जूझ रही एक महिला ने अपने पति से बचने के लिए एक अजीबोगरीब तरीका अपनाया। महिला ने पिछले एक साल से घर में ‘चुड़ैल’ बनने का नाटक करना शुरू किया। इस नाटक ने उसके जीवन को एक अलग मोड़ दिया, क्योंकि इससे उसके पति की हिंसा रुक गई, लेकिन बाद में वह खुद इस नाटक में पूरी तरह से घुल-मिल गई। यह मामला बिहार के गोपालगंज का है, जहां महिला की स्थिति के कारण उसे मानसिक उपचार की आवश्यकता पड़ी।
घरेलू हिंसा से बचने के लिए चुड़ैल बनने का नाटक
महिला का विवाह पांच साल पहले गोपालगंज जिले में हुआ था। विवाह के बाद से ही उसका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। उसके पति, जो कि रेलवे में लोको पायलट हैं, ने उसे बार-बार मारपीट का शिकार बनाया। महिला के ससुराल वाले भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आए, जिससे स्थिति और भी बदतर हो गई। घरेलू हिंसा से बचने के लिए महिला ने एक अनोखा तरीका अपनाया। वह अपने घर में दिनभर ‘चुड़ैल’ बनने का नाटक करती थी। शुरुआत में यह सब बस एक मजाक था, लेकिन धीरे-धीरे वह इसके असर में आ गई।
पति ने फिर किया मानसिक इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क
पति को जब यह महसूस हुआ कि उसकी पत्नी दिन-प्रतिदिन और अजीब होती जा रही है, तो उसने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मानसिक रोग विभाग से मदद लेने का फैसला किया। वहां के डॉक्टरों ने महिला का इलाज किया और उसकी काउंसलिंग की। काउंसलिंग के दौरान ही यह पता चला कि महिला की ‘चुड़ैल’ बनने वाली हरकतें किसी टीवी सीरियल से प्रेरित थीं। शुरुआत में तो महिला सिर्फ नाटक कर रही थी, लेकिन बाद में वह इस नाटक को अपनी वास्तविकता मानने लगी।
मानसिक रोग का पता चला, डॉ. तपस आइच ने समझाया
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के प्रमुख डॉ. तपस आइच ने बताया कि यह समस्या पोजेजन सिंड्रोम (Possession Syndrome) के कारण उत्पन्न हुई थी। काउंसलिंग के दौरान यह बात सामने आई कि महिला ने सिर पर भूत सवार होने का नाटक करना शुरू किया था, और फिर यह आदत बन गई। इस प्रकार के मानसिक विकारों में महिला और उसके परिवार की मदद के लिए मानसिक उपचार जरूरी होता है। डॉ. आइच के अनुसार, इस प्रकार के मामलों का अधिकतर सामना ग्रामीण इलाकों में किया जाता है, जहां लोग टीवी सीरियल्स को असल जीवन से जोड़ने की गलती कर लेते हैं।
काउंसलिंग और इलाज से महिला की स्थिति में सुधार
डॉ. तपस आइच ने बताया कि महिला के इलाज में काउंसलिंग के साथ-साथ दवाइयों का भी इस्तेमाल किया गया। इलाज के पहले कुछ राउंड में महिला को यह समझाया गया कि वह जो कर रही है, वह सिर्फ एक नाटक था। धीरे-धीरे महिला और उसके पति दोनों को काउंसलिंग की गई। मानसिक रूप से समझने के बाद, महिला ने अपनी स्थिति में सुधार करना शुरू किया। उसकी दवाइयों की डोज भी अब कम कर दी गई है, और वह पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही है।
मानसिक स्वास्थ्य की ओर बढ़ते कदम
मानसिक स्वास्थ्य पर काम करने की अहमियत को अब लोग अधिक समझने लगे हैं। घरेलू हिंसा से जूझ रही महिलाओं के लिए मानसिक उपचार आवश्यक हो जाता है, ताकि वे जीवन को सामान्य रूप से जी सकें। इस मामले ने यह भी साबित किया कि घरेलू हिंसा के मामलों में मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। महिला और उसके पति की काउंसलिंग से यह भी पता चला कि वे दोनों अब अच्छे रिश्ते में हैं और एक-दूसरे की मदद से उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं।
ग्रामीण इलाकों में ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या
डॉ. तपस आइच के अनुसार, इस तरह के मामले खासकर ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखने को मिलते हैं, जहां लोग टीवी शो या फिल्मों को असल जीवन से जोड़कर अपने व्यवहार में बदलाव लाते हैं। इन मामलों में अक्सर काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य की मदद से समस्या हल हो सकती है। समाज में मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इस मामले को एक उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। इस केस में महिला ने घरेलू हिंसा से बचने के लिए एक नाटक किया था, जो बाद में उसकी आदत बन गया। मगर सही इलाज और काउंसलिंग से वह अब ठीक हो रही है।